बेंगलुरु से चौंकाने वाला मामला: मानसिक रोग विशेषज्ञ निकला आतंकियों का सप्लायर
बेंगलुरु में एक मशहूर साइकियाट्रिस्ट (Psychiatrist) द्वारा किए गए कारनामे ने सुरक्षा एजेंसियों को भी चौंका दिया है। यह डॉक्टर ₹8000 की कीमत वाले स्मार्टफोन को जेल में बंद आतंकवाद के आरोपियों को ₹25000 में सप्लाई करता था। इस घटना से कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
सूत्रों के अनुसार, जेल के अंदर मोबाइल फोन की गतिविधियों पर नजर रखने वाली एक इंटेलिजेंस यूनिट को संदिग्ध सिग्नल्स मिलने लगे थे। जब जांच की गई तो पता चला कि कुछ कैदी, जिन पर देशद्रोह और आतंकी गतिविधियों के आरोप हैं, जेल में मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसकी तह में जाने पर एक नाम सामने आया – डॉ. [नाम गोपनीय], जो पेशे से एक साइकियाट्रिस्ट है और आतंकवाद से जुड़े आरोपियों के इलाज के लिए जेल में आता था। उसकी गतिविधियों को ट्रैक करने के बाद, आखिरकार उसे रंगे हाथों पकड़ लिया गया।

जांच में सामने आई ये बातें
- आरोपी साइकोलॉजिस्ट हर बार नई रणनीति के साथ मोबाइल जेल में पहुंचाता था।
- फोन को दवाइयों की पैकेजिंग, किताबों या अन्य चिकित्सा उपकरणों के बीच छिपा कर ले जाया जाता था।
- ₹8000 में खरीदे गए फोन को आतंकियों को ₹25000 में बेचा जाता था, जो बाहर से पैसे भेजवाते थे।
- जांच में पता चला कि उसने अब तक 15 से ज्यादा फोन सप्लाई किए हैं।
- मोबाइल के जरिए आरोपी आतंकी विदेशी संपर्क, फंडिंग नेटवर्क, और हमले की प्लानिंग करते थे।
आरोपी डॉक्टर की पृष्ठभूमि
डॉ. [नाम गोपनीय] बेंगलुरु में एक निजी क्लिनिक चलाता है और साइकोलॉजी के क्षेत्र में उसका अच्छा खासा नाम है। वह अक्सर न्यायिक आदेश के तहत मानसिक रूप से बीमार आरोपियों की जांच के लिए जेलों में जाया करता था।
उसके इस ‘विशेषाधिकार’ का फायदा उठाते हुए उसने एक पूरा अवैध नेटवर्क खड़ा कर लिया था। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका था।
सुरक्षा एजेंसियों की सख्त कार्रवाई
एनआईए (NIA), आईबी (IB) और बेंगलुरु पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उस पर यूएपीए (UAPA) और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
इसके साथ ही उस जेल के अधिकारियों की भी जांच हो रही है जहां से ये गतिविधियां संचालित हो रही थीं। ये आशंका जताई जा रही है कि जेल प्रशासन के कुछ लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
मनोचिकित्सक बना सुरक्षा खतरा
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था बल्कि चिकित्सा पेशे की गरिमा पर भी सवाल उठाती है। जहां एक ओर डॉक्टर को जीवनदाता माना जाता है, वहीं इस मामले ने बताया कि कैसे कोई विशेषज्ञ अपने ‘प्रोफेशनल एक्सेस’ का गलत इस्तेमाल कर सकता है।
निष्कर्ष
यह मामला साफ तौर पर दर्शाता है कि आतंकी संगठनों के नेटवर्क अब पारंपरिक तरीकों से अलग, प्रोफेशनल लोगों को भी शामिल कर रहे हैं। डॉक्टर, वकील, शिक्षक जैसे सम्मानजनक पेशों के लोग जब इस तरह देश के खिलाफ काम करें, तो यह और भी खतरनाक हो जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q. क्या डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है?
हां, मेडिकल काउंसिल ने आरोपी का लाइसेंस तुरंत निलंबित कर दिया है।
Q. क्या जेल के अंदर मोबाइल फोन पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं?
जी हां, जेल में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की अनुमति नहीं होती।
Q. क्या यह नेटवर्क राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है?
जांच एजेंसियां इस नेटवर्क की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कड़ियों की जांच कर रही हैं।

